ब्रह्मचर्य के प्रारम्भ में ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बाते क्या करें क्या न करें।

हर हर महादेव मित्रों, ब्रह्मचर्य के विषय में बहुत सी भ्रांतिया हैं, कुछ के मत स्पष्ट भी हैं,सही अर्थों में ब्रह्मचर्य आत्म संयम का दूसरा नाम है, यदि कोई सर्वसाधारण जीवन व्यतीत करना चाहता है तो यह उसके लिए नही है। यह उनके लिए जो जीवन के उच्चतम आयाम तक पहुंचना चाहते हैं।
पुरातन समय में ब्रह्मचर्य हमारे संस्कार में होता था। यही कारण है, हमारे पूर्वज अति मनीषी(विद्वान) एवम शक्तिशाली हुआ करते थे, किन्तु वर्तमान में आधुनिकता की कुल्हाड़ी ने इसे काट दिया है, विभिन्न माध्यमों से हम सब के समक्ष नग्नता परोसा जा रहा है, विडंबना यह है कि हम सब इसे सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं, जिससे हमारा पौरुष धीरे धीरे क्षीण हो रहा है, आप में जो अपना सर्वश्रेष्ठ देने का सामर्थ्य है,वह घटता चला जा रहा है। इसलिए अपने उत्थान के लिए, राष्ट्र के उत्थान के लिए युवाओं को, आने वाली पीढ़ी को ब्रह्मचर्य के लिए जागरूक करना चाहिए। इस लेख का उद्देश्य भी यही है।
अब हम बात करते हैं ब्रह्मचर्य में आने वाली बाधाओं के विषय में
वीर्यपात:– ब्रह्मचर्य में वीर्यपात साधक के लिए सबसे बड़ी बाधा है, वीर्य ब्रह्मचर्य का मूल है, वीर्यरक्षण के बिना ब्रह्मचर्य संभव नहीं है। किन्तु मात्र वीर्य रक्षा ही ब्रह्मचर्य नही है, इसके अन्य भी महत्वपूर्ण अंग हैं। फिर भी मूल से आरम्भ करता हूं।
ब्रह्मचर्य के लिए वीर्यरक्षण आवश्यक है, वीर्यरक्षण के लिए सात्विक विचार आवश्यक है, सात्विक विचार के लिए सात्विक आहार आवश्यक है, और यह सब आपके वश मे है। इनमें से दुर्लभ कुछ भी नही। 
वीर्यरक्षण को सुलभ बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आसन एवं प्राणायाम भी हैं, जो इसमें अति सहायक हैं।
अश्विनी मुद्रा जिसका अभ्यास करने से शरीर में शक्ति एवं स्फूर्ति का नवसंचार होता है।
अश्विनी मुद्रा की विधि एवम लाभ जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें:
 
प्राणायाम में किसी भी ध्यान आसन जैसे– सुखासन, पद्मासन, अर्द्ध पद्मासन आदि में बैठ कर दीर्घ स्वास लेना और छोड़ना होता है। इसके लिए शुद्ध एवम् शान्त वातावरण का चुनाव करना चाहिए। सम्भव हो तो आसन, प्राणायाम ब्रह्ममुहूर्त में करें।
सांयकाल में भी कर सकते हैं।
विचारों की शुद्धि (सात्विक) के लिए आप धर्म ग्रंथ भी पढ़ सकते हैं, जैसे– श्री रामचरित मानस, श्रीमद्भगवद गीता एवम् अपनी बुद्धि के अनुसार अन्य ग्रंथ। ध्यान योग्य यह है कि इन्हे मात्र पढ़ना नही है, श्रद्धा से पढ़ना है, इनका मनन(आचरण में लाना) भी करना है। स्त्रियों को सम्मान की दृष्टि से देखें, प्रयास करें कि सौंदर्य पर दृष्टि न ठहरे। इसका बहुत लाभ होगा वीर्य रक्षण में।
भोजन की बात करतें हैं तो तामसी भोजन से परहेज करिए जैसे लहसुन प्याज तला भुना अधिक तीखा चटपटा भोजन न करें। रात्रि को सोने से दो घंटे पूर्व ही भोजन कर लें।
यह सब ब्रह्मचर्य आरम्भ करने वालों के लिए अति महत्वपूर्ण है। ब्रह्मचर्य को बोझ की तरह न लें सहर्ष पालन करें।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां अगले लेख में।अन्यथा यह लेख बहुत बड़ा हो जायेग।





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